किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
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अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के check here घटवासी॥
कंबु – कुंदेंदु – कर्पूर – गौरं शिवं, सुंदरं, सच्चिदानंदकंदं ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
पुत्र हीन कर इच्छा कोई । निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
आपके पास पूजा के लिए दूध दही घी शक्कर शहद यानि पंचामृत तथा चंदन पुष्प बेलपत्र त्रिशूल डमरू आदि होने चाहिए अगर आपका व्रत है तो शाम को पूजा करने के बाद ही व्रत खोलें अंत में प्रसाद वितरण करें
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।